- Publisher : Setu Prakashan Pvt Ltd; First Edition (9 August 2025)
- Paperback : 326 pages
- ISBN-10 : 9362019582
- ISBN-13 : 978-9362019585
- Reading age : 13 years and up
- Item Weight : 180 g
- Dimensions : 20 x 13 x 2 cm
बुद्धचरित और महाकवि अश्वघोष – चंद्रभूषण
जिसे अश्वघोष के ‘बुद्धचरितम्’ के आरम्भिक चौदह सर्गों के मूल संस्कृत पाठ में उलझे बिना उसकी अन्तर्वस्तु का आस्वादन उसी के जैसी प्रसन्न-गम्भीर शैली में करना हो उसे चंद्रभूषण की यह किताब पढ़कर सन्तोष होगा। इसमें बुद्धचरितम् के अट्ठाईस सर्गों में विन्यस्त बुद्ध की जीवनकथा के साथ-साथ उनके सन्देश का समूचा रोचक आख्यान तो है ही, प्रत्येक सर्ग के प्रारम्भ में प्रवेशिका या परिचायिका के बतौर उस सर्ग के कथा-सार के अलावा उससे सम्बद्ध प्रश्नों की विवेचना भी है। प्रारम्भिक चौदह सर्गों तक बीच-बीच में कुछ श्लोक भी उद्धृत हैं जो खासतौर से गौरतलब हैं। बाद के चौदह सर्गों में- जिनका मूल संस्कृत पाठ लुप्त है और केवल उनके चीनी-तिब्बती अनुवादों पर ही निर्भर करना पड़ता है- आवश्यकता अनुसार चीनी अनुवाद का स्पर्श कराया है। यह किताब बुद्धचरित की समग्र अन्तर्वस्तु का परिदर्शन तो कराती ही है, यथास्थान उसकी सृजनात्मक समीक्षा में भी पाठक को शरीक कर लेती है। जिसे अश्वघोष की जीवनी और उनकी रचनाओं के साथ-साथ बुद्धचरित के मूल पाठ और उसके चीनी-तिब्बती-फ्रांसीसी-जर्मन अनुवाद परम्परा की लम्बी और कष्टसाध्य खोज की गहन और अकादमिक चर्चा में सुख मिलता हो उसे इस किताब की भूमिका जरूर पढ़नी चाहिए। आप चंद्रभूषण की कुछ मान्यताओं से असहमत हो सकते हैं लेकिन उनकी ज्ञान-निष्ठा (या बुद्ध-निष्ठा), गहरी लगन, कठोर पक्षधरता, अपार धीरज और सर-तोड़ परिश्रम की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकते। — अवधेश प्रधान, लेखक संस्कृति चिन्तक, प्रोफेसर (रि.) बीएचयू





















