- Publisher : Setu Prakashan Pvt Ltd (3 February 2025)
- Paperback : 336 pages
- ISBN-10 : 936201758X
- ISBN-13 : 978-9362017581
- Item Weight : 210 g
- Dimensions : 20 x 12 x 2 cm
- Packer : Setu Prakashan Pvt Ltd
- Generic Name : Printed Book
MAYA MODI AJAD : Hindutva Ke Daur Mein Dalit Rajneeti
वर्तमान दलित राजनीतिक परिदृश्य एक उलझी हुई विश्लेषणात्मक पहेली जैसा है। पिछले दशक में बहुजन समाज पार्टी और 1980 से चली आ रही पहचान केन्द्रित राजनीति का पतन देखा गया, दलितों का एक वर्ग भारतीय जनता पार्टी और सबाल्टर्न हिन्दुत्व की ओर झुका, साथ ही नये दलित संगठनों ने दलितों पर हो रहे अत्याचारों और दक्षिणपन्थ के वर्चस्व के खिलाफ प्रदर्शन भी किये। आज दलित राजनीति दो विपरीत प्रवृत्तियों को दर्शाती है-दक्षिणपन्थ का राजनीतिक विरोध लेकिन साथ ही दक्षिणपन्थ के लिए चुनावी प्राथमिकता भी। माया, मोदी, आजाद पुस्तक विशेष रूप से उत्तर प्रदेश पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, इन परिवर्तनों का मानचित्रण करती है। यह वह राज्य है, जहाँ मायावती, जिन्होंने दलित मूल के साथ एक नयी ‘इन्द्रधनुषी पार्टी’ बनाने का प्रयास किया, नरेन्द्र मोदी, जिन्होंने दलितों के एक वर्ग को भगवा धारा की ओर आकर्षित किया और एक नये दलित नेता, चन्द्रशेखर आजाद, जो हिन्दुत्व और बहुजन समाज पार्टी, दोनों को चुनौती दे रहे हैं, ने पिछले दो दशकों में दलित राजनीति को नया आकार दिया है। सुधा पई और सज्जन कुमार का विमर्शों के इस त्रिकोणीय टकराव का अन्तर्दृष्टिपूर्ण विश्लेषण न केवल दलित बल्कि भारत में लोकतान्त्रिक राजनीति को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण है, खासकर जब हम 2024 के तल्खी भरे लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में दलितों का हिन्दुत्व के साथ हो रहे विरोध व समावेश को समझने की कोशिश कर रहे हैं।





















