- Publisher : Rajkamal Prakashan (1 February 2019)
- Language : Hindi
- Hardcover : 224 pages
- ISBN-10 : 9388753690
- ISBN-13 : 978-9388753692
- Item Weight : 45 g
- Dimensions : 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
- Net Quantity : 1.0 Count
Itihas, Sanskriti Aur Sampradayikta
गुणाकर मुळे को हम विज्ञान विषयों के लेखक के रूप में जानते हैं । उन्होंने हिंदी पाठकों को सरलतम शब्दावली में विज्ञान की कठिन अवधारणाओं, आविष्कारों और खोजों से परिचित कराया । लेकिन उनके लेखन का उद्देश्य वैज्ञानिक दृष्टि को आम जन की जीवन-शैली और विचार का हिस्सा बनाना था । इसीलिए उन्होंने शुद्ध सूचनात्मक वैज्ञानिक लेखक के साथ संस्कृति, समाज, धर्म, अंधविश्वास आदि पर भी हमेशा लिखा । मार्क्सवाद उनकी वैचारिक भूमि रहा और आधुनिक जीवन-मूल्य उनके अभीष्ट । यह किताब उनके ऐसे ही लेखन का संकलन है जिसमें संस्कृति, धर्म, हिंदुत्व की राजनीति, आर्यों का मूल आदि विभिन्न विषयों पर उनका लेखन शामिल है । पाठक इन लेखों में काफी कुछ नया पाएंगे । रामकथा को लीजिए । आज राम को लेकर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के प्रयास जारी हैं । मगर राम काफी हद तक एक मिथकीय चरित्र है, इस बात के पर्याप्त सबूत वाल्मीकि-रामायण में ही मौजूद हैं । शिवाजी जैसे कई ऐतिहासिक चरित्रों को विकृत रूप में पेश करके मुस्लिम-द्वेष को उभारने के प्रयास हो रहे हैं । मगर प्रामाणिक इतिहास इस बात की गवाही देता है कि शिवाजी रत्ती- भर भी मुस्लिम-द्वेषी नहीं थे । इस बात को ' ऐसा था शिवाजी का राजधर्म ' लेख में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । इधर के वर्षों में देश में धार्मिक असहिष्णुता और सांप्रदायिकता में तेजी से वृद्धि हुई है । इस पर रोक लगाने के लिए आम जनता को शिक्षित करना अत्यावश्यक है-उनकी अपनी भाषा में । सांप्रदायिकता अपने प्रचार- प्रसार के लिए आम जनता की भाषा का भरपूर उपयोग कर रही है । सांप्रदायिकता के प्रतिकार के लिए भी जनता की भाषा का ही उपयोग होना चाहिए । इस तरह गुणाकर मुळे की यह पुस्तक तमाम मुद्दों से टकराते हुए ऐसे कैनवस की रचना करती है, जहाँ विचार-विमर्श अपने सृजनात्मक रूप में संभव हो सके ।.




















