- Publisher : Vani Prakashan; First Edition (1 June 2022)
- Language : Hindi
- Unknown Binding : 572 pages
- ISBN-10 : 9355183526
- ISBN-13 : 978-9355183521
- Reading age : 15 years and up
- Item Weight : 700 g
- Dimensions : 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
Dalit Jnan-Mimansa-01 : Naye Manchitra (CSDS) by Edited by Kamal Nayan Chaube
दलित ज्ञान-मीमांसा 01: नये मानचित्र और दलित ज्ञान-मीमांसा 02: हाशिये के भीतर में दलितों की और दलितों के बारे में रची गयी उस ज्ञानात्मकता का संधान किया गया है जो पिछले दशकों में बनते-बिगड़ते भारतीय लोकतंत्र की गहमागहमी के बीच रची गयी है। विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के भारतीय भाषा कार्यक्रम की लोक- चिंतन ग्रंथमाला की ये चौथी और पाँचवीं कड़ियाँ उन्नीस साल पहले प्रकाशित आधुनिकता के आईने में दलित का विस्तार हैं। आधुनिकीकरण, राजनीतीकरण, सेकुलरीकरण और पूँजीवादी विकास ने पिछले दो दशकों में भारतीय राज्य और समाज को बड़े पैमाने पर बदला है। इनमें से ज़्यादातर बदलाव समाज परिवर्तन की विचारधारात्मक संहिताओं के मुताबिक़ नहीं हुए हैं। दलित समाज भी ऐसे ही अनपेक्षित परिवर्तनों से गुज़रा है। आधुनिकता के आईने में दलित के लेख बताते थे कि अनुसूचित जातियों को समान अवसर मुहैया कराने और सामाजिक न्याय के धरातल पर राष्ट्र-निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के रास्ते में केवल परम्परा ही नहीं, बल्कि आधुनिकता की तरफ़ से भी अवरोध खड़े किये जाते हैं। आज यह विमर्श मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से एक नये मुकाम तक पहुँच चुका है। लोक चिंतन ग्रंथमाला के तहत यह द्विखंडीय संपादित रचना दलितों की और दलितों से संबंधित ज्ञानात्मकता के नवीन पहलुओं को उनके जटिल विन्यास में समग्रता से प्रस्तुत करती है।




















