कुछ साल पहले पिंकी और मंटू का प्रेम-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और ऐसे वायरल हुआ कि उसे शेयर करने वालों में हाईस्कूल-इंटरमीडिएट के छात्र भी थे और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी। लेकिन उस छोटे से प्रेम-पत्र के पीछे की बड़ी कहानी क्या थी, यह किसी को नहीं मालूम। क्या था उन दो प्रेमियों का संघर्ष? ‘चाँदपुर की चंदा’ क्या उस मंटू और पिंकी की रोमांटिक प्रेम-कहानी भर है? नहीं, यह उपन्यास बस एक खूबसूरत, मर्मस्पर्शी वायरल प्रेम-कहानी भर नहीं है, बल्कि यह हमारे समय और हमारे समाज के कई कड़वे सवालों से टकराते हुए, हमारी ग्रामीण संस्कृति की विलुप्त होती वो झाँकी है, जो पन्ने-दर-पन्ने एक ऐसे महावृत्तांत का रूप धारण कर लेती है जिसमें हम डूबते चले जाते हैं और हँसते, गाते, रोते और मुस्कुराते हुए महसूस करते हैं। यह कहानी न सिर्फ़ हमारे अपने गाँव, गली और मोहल्ले की है, बल्कि यह कहानी हमारे समय और समाज की सबसे जरूरी कहानी भी है।
Chandpur Ki Chanda । चाँदपुर की चंदा (PAPERBACK)
सोशल मीडिया ने हिंदी के जिन चंद युवा लेखकों को एक नई जमीन और आसमान दिया है, उनमें अतुल कुमार राय का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इनके ब्लॉग, व्यंग्यकथा, समसामयिक लेख और ट्वीट न सिर्फ खूब पसंद किए जाते हैं बल्कि देश के बड़े अखबारों के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित भी होते हैं।
गंगा-सरयू की माटी बलिया, उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार में जन्मे अतुल बीएचयू, वाराणसी से बी.म्यूज (तबला) और एमपीए (संगीतशास्त्र) की पढ़ाई करने के साथ-साथ यूजीसी नेट उत्तीर्ण कर चुके हैं। मन-मिजाज से संगीतकार अतुल की लेखनी में आंचलिकता अपने सरस, व्यंग्यात्मक और संवेदनशील प्रवाह के रूप में एक ऐसा रागात्मक चित्र खींचती है कि पढ़ने वाला उसमें खो जाता है। ‘चाँदपुर की चंदा’ इनका पहला उपन्यास है।
अतुल आजकल मुंबई में रहते हुए फिल्म-वेबसीरीज के लिए कथा, पटकथा और संवाद लिख रहे हैं। रिलायंस एंटरटेनमेंट और टी-सीरीज की फिल्म ‘शेरदिल’ बतौर संवाद लेखक इनकी पहली फिल्म है।





















