"आधा गाँव" राही मासूम रज़ा का एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है जो 1966 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास गाजीपुर जिले के गंगौली नामक एक गाँव की कथा प्रस्तुत करता है, जो भारत-विभाजन के समय हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता, सामाजिक और राजनीतिक बदलावों से जूझ रहा होता है।"आधा गाँव" हिंदी उपन्यासों में पहला ऐसा उपन्यास है जिसमें विभाजन की त्रासदी और मुसलमानों के अनुभवों का सटीक व प्रभावशाली चित्रण किया गया है। इसे हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है और यह राष्ट्रीय एकता और सौहार्द का संदेश देता है।राही मासूम रज़ा के इस उपन्यास ने हिंदी उपन्यास लेखन में एक नए स्तर की प्रामाणिकता और सामाजिक चेतना का परिचय कराया।
Aadha Gaon (Paperback) by Rahi Masoom Raza (Author)
जन्म : 1 सितम्बर, 1925। जन्मस्थान : गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)। प्रारम्भिक शिक्षा वहीं, परवर्ती अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ही 'उर्दू साहित्य के भारतीय व्यक्तित्व’ पर पी-एच.डी.। अध्ययन समाप्त करने के बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में अध्यापन-कार्य से जीविकोपार्जन की शुरुआत। कई वर्षों तक उर्दू-साहित्य पढ़ाते रहे। बाद में फिल्म-लेखन के लिए बम्बई गए। जीने की जी-तोड़ कोशिशें और आंशिक सफलता। फिल्मों में लिखने के साथ-साथ हिन्दी-उर्दू में समान रूप से सृजनात्मक लेखन। फिल्म-लेखन को बहुत से लेखकों की तरह 'घटिया काम’ नहीं, बल्कि 'सेमी क्रिएटिव’ काम मानते थे। बी.आर. चोपड़ा के निर्देशन में बने महत्त्वपूर्ण दूरदर्शन धारावाहिक 'महाभारत’ के पटकथा और संवाद-लेखक के रूप में प्रशंसित। एक ऐसे कवि-कथाकार, जिनके लिए भारतीयता आदमीयत का पर्याय रही। प्रकाशित पुस्तकें : आधा गाँव, टोपी शुक्ला, हिम्मत जौनपुरी, ओस की बूँद, दिल एक सादा काग़ज़, कटरा बी आज़ूर्, असन्तोष के दिन, नीम का पेड़, कारोबारे तमन्ना, क़यामत (हिन्दी उपन्यास); मुहब्बत के सिवा (उर्दू उपन्यास); मैं एक फेरीवाला (हिन्दी कविता-संग्रह); नया साल, मौजे-गुल : मौजे सबा, रक्से-मय, अजनबी शहर : अजनबी रास्ते (उर्दू कविता-संग्रह); अट्ठारह सौ सत्तावन (हिन्दी-उर्दू महाकाव्य) तथा छोटे आदमी की बड़ी कहानी (जीवनी)।




















