- Publisher : Setu Prakashan Pvt Ltd (9 September 2025)
- Paperback : 258 pages
- ISBN-10 : 9362016192
- ISBN-13 : 978-9362016195
- Item Weight : 180 g
- Dimensions : 19 x 13 x 2 cm
- Packer : Setu Prakashan Pvt Ltd
1857 ki Kranti ka Awadh by Thoman Henri Kawanagh
1857 की क्रान्ति पर अब तक असंख्य पुस्तकें लिखी गयी हैं- भारतीय और विदेशी दोनों दृष्टिकोणों से। परन्तु जिस पुस्तक का यह अनुवाद है, वह विशिष्ट है क्योंकि यह उस समय के एक ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारी का लिखा आँखों देखा हाल है। टी. हेनरी कावानाघ, न केवल घटनाओं के साक्षी थे, बल्कि उन्होंने लखनऊ के भीतर से ब्रिटिश सेना तक पहुँचने का जोखिम भरा कार्य भी किया, जिससे वे विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त करने वाले प्रथम नागरिक बने। उनके संस्मरण 1857 की अवध स्थिति का औपनिवेशिक अन्तर्दृष्टि से प्रस्तुत किया गया विस्तृत विवरण है, जो साम्राज्यवादी सोच, सैन्य रणनीति और स्थानीय जन-मन के प्रति ब्रिटिश दृष्टिकोण को उजागर करता है। इस पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद इसलिए आवश्यक था ताकि भारतीय पाठक न केवल विद्रोह को भारतीय पक्ष से, बल्कि अँग्रेजों की दृष्टि से भी देख सकें-जिससे ऐतिहासिक समझ अधिक सन्तुलित, आलोचनात्मक और परिपक्व बन सके। यह अनुवाद केवल एक भाषाई प्रयास नहीं, बल्कि इतिहास की परतों को खोलने की एक ईमानदार चेष्टा है। हिन्दी, इतिहास, सामाजिक विज्ञान के शोध छात्रों, भारतीय इतिहास और देश के स्वतन्त्रता संघर्ष में रुचि रखने वाले लोगों को यह क़िताब अवश्य पढ़नी चाहिए।





















