- Publisher : Lokbharti Prakashan (1 January 2020); Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd, New Delhi
- Language : Hindi
- Hardcover : 372 pages
- ISBN-10 : 9389742447
- ISBN-13 : 978-9389742442
- Item Weight : 510 g
- Dimensions : 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
- Importer : Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd, New Delhi
- Packer : Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd, New Delhi
Sangeet Kavita Hindi Aur Mughal Badshah by Ajay Tiwari
'संगीत कविता हिन्दी और मुगल बादशाह' शीर्षक यह किताब प्रो.अजय तिवारी के परिश्रम, उनकी संग्रहवृत्ति और गम्भीर शोध की उपलब्धि है। इस विषय से सम्बन्धित इधर जो काम हुए हैं उनसे अलग और महत्वपूर्ण यह किताब हमारी समझ के तमाम जालों को साफ़ करती है। मुगल बादशाहों की हिन्दी कविता और हिन्दुस्तानी संगीत में गहरी रुचि थी। बादशाह अकबर से लेकर भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के सेनानी बहादुरशाह ज़फर तक लगभग सभी मुगल बादशाहों ने संगीत के अनुशासन में बंध कर परम्परा से चले आ रहे 'ध्रुपद' को आधार बनाकर काव्य-सृजन किया। इन कवियों की कविताओं के साथ संगीत के रागों और तालों का उल्लेख है। इसलिए, सिर्फ हिन्दी कविता के विकास ही नहीं बल्कि हिन्दी क्षेत्र के सांस्कृतिक विकास को जानने और समझने के लिए इन कविताओं और उसमें संगीत की संगति को देखना ज़रूरी है। इन मुगल बादशाहों के अपने धार्मिक आग्रह जो भी रहे हों अथवा राजकाज की भाषा भले ही फ़ारसी रही हो किन्तु, मुगल बादशाहों के भाषिक व्यवहार में हिन्दी ही प्रचलित थी। जब एक ओर राजनीतिक एकता टुकड़े-टुकड़े हो रही थी उन्होंने आज के हिन्दी-भाषी क्षेत्र के लिए बड़े मनोयोग से एक सर्वमान्य भाषाई माध्यम निर्मित कर डाला। पूरे क्षेत्र को एक समान रुचि और काव्यभंगिमा दी। मुगल बादशाह रंगीले के बाद जब मुग़ल सत्ता भीतर से टूट रही थी और बादशाह अंग्रेजों के बाकायदा पेंशनयाफ्ता हो गए तो इसी पतनशील दौर में भाषा के तौर पर उर्दू और संगीत के क्षेत्र में खयाल और टप्पा का विकास हुआ। इस किताब की मूल प्रेरणा चन्द्रबली पाण्डेय का 1940 में लिखा गया वह लेख है जो मुगल बादशाहों की हिन्दी कविता पर केन्द्रित था। पुस्तक के परिशिष्ट में वह मूल लेख मौजूद है जिसका आज के सन्दर्भो में पुनःपाठ किया जा सकता है। भारतीय समाज, साहित्य और संगीत से मुगल बादशाहों के अन्तर्मिश्रण और अंतर्सम्बन्धों की पड़ताल के साथ ही हमारे सांस्कृतिक विकास की पहचान के लिए यह एक ज़रूरी पुस्तक साबित होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। -विवेक निराला





















