| More Information | |
| Language | Hindi |
|---|---|
| Binding | Hard Back, Paper Back |
| Translator | Not Selected |
| Editor | Onkar Sharad |
| Publication Year | 1996 |
| Edition Year | 2025, Ed. 8th |
| Pages | 245p |
| Publisher | Lokbharti Prakashan |
| Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |
Bharat Ke Shashak BY Rammanohar Lohia
राममनोहर लोहिया द्वारा गोवा हाईकोर्ट के चीफ़ जज को लिखे एक ख़त को ‘हरिजन सेवक’ के अक्टूबर, ’46 के एक अंक में पुनर्प्रकाशित करते हुए गांधी ने लिखा था कि ‘डॉ. लोहिया कोई मामूली आदमी नहीं’। यह तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य में लोहिया की महत्ता को रेखांकित करता है। लोहिया उन दिनों गोवा में आज़ादी की पैरवी कर रहे थे और गिरफ़्तार भी हुए थे।
इस पुस्तक में लोहिया के वे आलेख संकलित किए गए हैं जो उन्होंने समय-समय पर राजनीति, समाज, संस्कृति और भाषा आदि विषयों पर विचार करते हुए लिखे। भाषा और शब्दावली के लिहाज से उनका लेखन एक ऐसे व्यक्ति का लेखन है जिसके विचार उसके व्यवहार से पुष्ट होकर आते हैं और इसलिए अत्यन्त स्पष्ट रूप में व्यक्त होते हैं।
यहाँ संकलित लेखों में सबसे ध्यानाकर्षक हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की एकता की इच्छा को लेकर लिखे गए उनके लेख हैं जो उन्होंने बँटवारे के मात्र तीन-चार साल बाद लिखे थे। उनकी कामना थी कि अगर दोनों देशों के लोग थोड़ी भी विद्या-बुद्धि से काम करते चले गए तो दस-पाँच बरस में फिर से एक होकर रहेंगे। लेकिन दुखद है कि यह विद्या-बुद्धि प्रयोग में नहीं लाई जा सकी। इस सकारात्मक दृष्टि की हमें आज और ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके अलावा भारत में शासक-परम्परा, समाजवाद, गांधीवाद और समाजवाद, जाति, स्त्री-पुरुष समानता, मातृभाषा की स्थिति, छुआछूत और मन्दिर प्रवेश जैसे विषयों पर भी आप यहाँ (उनके विचार) पढ़ सकेंगे। यह पुस्तक चिन्तक लोहिया के समग्र का एक प्रतिनिधि संकलन है।





















